वर्ष 2018 की श्रेष्ठ कृतियों के लिए शब्द सम्मानों की घोषणा भी कर दी गई। 'छाप' श्रेणी में कथा (उपन्यास) वर्ग में ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ और कविता वर्ग में गगन गिल के संग्रह ‘मैं जब तक आई बाहर’ को चुना गया है। कथेतर वर्ग में 'छाप' सम्मान सुनीता बुद्धिराजा की कृति ‘रसराज : पंडित जसराज’ को दिया जाएगा। किसी भी रचनाकार की पहली किताब वाला 'थाप', अंबर पांडेय की कृति ‘कोलाहल की कविताएं' को मिलेगा। भारतीय भाषाओं में अनुवाद के लिए भाषा-बंधु सम्मान, प्रख्यात रचनाकार शंख घोष की बांग्ला गद्य कृति ‘नि:शब्द की तर्जनी’ के हिंदी अनुवाद के लिए उत्पल बैनर्जी को प्रदान किया जाएगा। इन सम्मानों में एक-एक लाख रुपये की राशि सम्मिलित है। प्रख्यात कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह, विख्यात कवि अरुण कमल, वरिष्ठ आलोचक नंदकिशोर आचार्य, सुप्रसिद्ध कवयित्री अनामिका तथा प्रसिद्ध समीक्षक ज्योतिष जोशी के उच्चस्तरीय निर्णायक मंडल ने इन कृतियों को अपनी कसौटी पर परखा। अमर उजाला शब्द सम्मान शीघ्र ही एक समारोह में अर्पित किए जाएंगे।
अपने जीवन-लेखन के समग्र अवदान के लिए इस वर्ष का अमर उजाला का सर्वोच्च शब्द सम्मान 'आकाशदीप' - हिंदी में प्रख्यात कथाकार व संपादक ज्ञानरंजन और हिंदीतर भाषाओं में मराठी के विख्यात कवि-उपन्यासकार भालचंद्र नेमाडे को दिया जाएगा। गत वर्ष यह सम्मान डॉ. नामवर सिंह को हिंदी के लिए और गिरीश कारनाड (कन्नड़) को हिंदीतर भाषा में अतुलनीय योगदान के लिए दिया गया था। भारतीय भाषाओं के सामूहिक स्वप्न के सम्मान में अमर उजाला फ़ाउंडेशन ने शब्द सम्मान की शब्द सम्मान की स्थापना की है। सर्वोच्च आकाशदीप अलंकरण हिंदी और अन्य भारतीय भाषा में एक-एक साहित्य मनीषी को अर्पित किया जाता है। अलंकरण में पांच-पांच लाख रुपये की राशि सम्मिलित है। अमर उजाला ये सम्मान रचनाधर्मिता के स्वतंत्र मिजाज़ का अभिनंदन है। मैंने कभी कहा था, अब फिर दोहराता हूँ कि रचनाकार को यह नहीं देखना चाहिए कि कोई उसे कैसे देख रहा है। रचनाकार के साथ अदृश्य और अमूर्त शक्तियाँ रहती हैं, उसका अन्डरवर्ल्ड बहुत बड़ा होता है। हम मुख्यधारा में नहीं थे, एक छोटे शहर में अपना काम कर रहे थे और हमें प्रकाशित कर दिया गया। अमर उजाला द्वारा स्थापित यह ‘शब्द सम्मान’ सभी गैर सरकारी सम्मानों से इसलिए उच्चतर है कि वह हिन्दी के साथ दूसरी भाषाओं को भी समान दर्जा देता है। पहले हिन्दी के साथ कन्नड़ और अब हिन्दी के साथ मराठी, इस तरह दो भाषाओं के रचनाकारों को समांतर सम्मान। शुक्रिया, बहुत शुक्रिया। - ज्ञानरंजन मानवीय सभ्यताओं के विचार और भाषिक संस्कृति के मूल्यवान साझे की निरंतरता का सम्मान - भालचंद्र नेमाडे